Sir Isaac Newton का जीवन परिचय और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत

 

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सर इसाक न्यूटन का जीवन, उनकी वैज्ञानिक खोजे और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की आसान और मनभरी रोचक जानकारी।  जानिए उन्होंने विज्ञान को कैसे बदला। 

Sir Isaac Newton का जीवन परिचय, वैज्ञानिक खोज और गुरुत्वाकर्षण का नियम

सर आइज़ैक न्यूटन एक महान वैज्ञानिक थे जिनकी खोजों ने विज्ञान की दुनिया में क्रांति ला दी। गुरुत्वाकर्षण का नियम हो, गति के नियम हों या प्रकाश का अध्ययन—न्यूटन के सिद्धांत आज भी अटूट हैं और विज्ञान की जान माने जाते हैं।

अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए, तो वे किसी ईश्वरीय शक्ति से कम नहीं थे। वैज्ञानिक बनना जितना आसान दिखता है, उतना है नहीं। लेकिन न्यूटन जैसे वैज्ञानिक जिन्होंने विज्ञान और धर्म दोनों को साथ लेकर चलने का उदाहरण दिया, ऐसे व्यक्तित्व बहुत दुर्लभ होते हैं।

1. सर इसाक न्यूटन का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

न्यूटन का जन्म 4 जनवरी 1643 को इंग्लैंड में हुआ था। वे बचपन से ही अत्यंत बुद्धिमान, शांत और गंभीर स्वभाव के थे। उन्होंने समय के महत्व को बहुत अच्छे से समझा और कभी भी कोई भी कार्य जल्दबाजी में नहीं किया। 

कुछ ही वर्षों में उन्होंने इंग्लैंड से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और आगे चलकर M.A. की उपाधि भी हासिल की।

2. न्यूटन के प्रमुख वैज्ञानिक सिद्धांत और गती के नियम

न्यूटन ने विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे कई सिद्धांत दिए जो आज भी वैज्ञानिक जगत की रीढ़ हैं। इनमें से उनके गति के तीन नियम - न्यूटन का योगदान (Laws of Motion) और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

1. गति का पहला नियम (जड़त्व का नियम):

कोई वस्तु तब तक अपनी स्थिति या गति नहीं बदलती जब तक उस पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं करता।
इसे ही जड़त्व कहते हैं। यह नियम न्यूटन की प्रसिद्ध पुस्तक "Principiya" में वर्णित है।

2. गति का दूसरा नियम:

किसी वस्तु की संवेग में परिवर्तन उसकी उस पर कार्य कर रहे बल के समानुपाती होता है।
(Force = mass × acceleration)

3. गति का तीसरा नियम:

हर क्रिया के बराबर और विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। इन तीनों नियमों पर आधारित आज अनेकों खोजें हो चुकी हैं और भविष्य में भी होती रहेंगी।

2. गुरुत्वाकर्षण बल : सेब से शुरु हुई खोज

न्यूटन का सबसे प्रसिद्ध सिद्धांत है — गुरुत्वाकर्षण का नियम। कहा जाता है कि एक दिन जब न्यूटन सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे, तो उनके सिर पर एक सेब गिरा। 

इस घटना ने उन्हें सोचने पर मजबूर किया कि आखिर वह सेब नीचे क्यों गिरा? यहीं से उन्होंने गुरुत्व बल (Gravity) का सिद्धांत प्रतिपादित किया।

उन्होंने बताया कि पृथ्वी की प्रत्येक वस्तु एक-दूसरे को आकर्षित करती है। इसी बल के कारण ग्रह अपनी कक्षा में सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।

3. ग्रहो की गति और न्यूटन के सिद्धांत का प्रभाव

न्यूटन के सिद्धांतों की सहायता से ही आज हम जानते हैं कि:

  • चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 3,80,000 किलोमीटर है।
  • पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर गति लगभग 1,01,000 किमी/घंटा है।
  • मंगल और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 22.8 करोड़ किमी है।
  • नेपच्यून की सूर्य से दूरी लगभग 450 करोड़ किमी है।

4. Sir Isaac Newton का ईश्वर पर विश्वास और चरित्र 

न्यूटन विज्ञान में जितने निपुण थे, धर्म के प्रति भी उतने ही श्रद्धालु थे। उन्होंने एक बार कहा था:

Gravity explains the motion of planets, but it cannot explain who sets the planets in motion. God governs all things.
(गुरुत्वाकर्षण ग्रहों की गति को समझा सकता है, लेकिन उन्हें गति में किसने रखा, यह नहीं। ईश्वर ही सब पर शासन करता है।)

 5. Newton को "Sir" की उपाधि और सम्मान मिला

  • वर्ष 1699 में न्यूटन को इंग्लैंड की रॉयल मिंट (टांकसाल) का प्रमुख बनाया गया।
  • 1703 में वे रॉयल सोसायटी के अध्यक्ष बने।
  • 1705 में उन्हें "सर" की उपाधि से नवाजा गया।

वे विज्ञान और ईश्वर के अनूठे संगम का प्रतीक हैं। उनके कार्यों और सिद्धांतों ने न केवल वैज्ञानिक दुनिया को दिशा दी, बल्कि मानवता को भी सोचने का नया दृष्टिकोण दिया।

निष्कर्ष : Newton का Jivan हमे क्या सिखाता है?

न्यूटन जैसे महान वैज्ञानिक हमें यह सिखाते हैं कि जिज्ञासा, निरंतर प्रयास और ईश्वर में आस्था से हम किसी भी क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। 

उन्होंने जिस प्रकार अपनी बुद्धि और समर्पण से ब्रह्मांड की गूढ़ गुत्थियों को सुलझाया, वह न केवल सराहनीय है, बल्कि प्रेरणादायक भी।

आइए हम भी सर आइज़ैक न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों से प्रेरणा लें और ज्ञान की ओर बढ़ें।

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