1. कर्म के प्रकार : (Types of Karma according to Bhagavad Geeta)
हम जो कुछ भी
करते है वह सब
कुछ कर्म में आता है, जैसे की आप जो
भी काम करेंगे वह किस हेतु / उद्दिष्ट से कर रहे
है उसपर आपका सत्कर्म है या दुष्कर्म
या फिर भौतिक सुख के लिए किया
गया कर्म है निर्भर करता
है.
- भौतिक सुख प्राप्ति कर्म, - कोई काम जो हम धन कमाने के लिए करते है वह भौतिक सुख के लिए होता है यानि की रोटी , वस्त्र, घर, चलाने के लिए होता है, इसमें अगर आप धन कमाने के लिए जिस किसी को लूटकर , फसाकर , जमीन पर कब्ज़ा करके धन कमाओगे तो उसे दुष्कर्म कहा जाता है, जिस कर्म से समाज में अनैतिकता पैदा हो ऐसा कर्म कृति नहीं करनी चाहिए, अगर आप खुद के इन्द्रियों के सुख प्राप्ति के आनंद के लिए किसी को छेड़ते हो तो वह भी दुष्कर्म में आता है,
अगर आप लोगो को आज किसी प्रकार की सहायता करते हो और तुम्हारे मन सहाय करने का हेतु अगर एक साल बाद वह लोग तुम्हे निवडणूक में वोट दे ऐसा होगा तो वह आपका कर्म, स्वार्थ में आएगा न की सत्कर्म और दानवीर में.
2. कर्म का अर्थ क्या ? Meaning of Karma According to Bhagavad Gita
साधारण भाषा में समझा जाये तो किसी भी
कर्म को आप जिस
हेतु
से करते हो उसी हेतु पर ,आपका कर्म सत्कर्म है या दुष्कर्म
यह निर्धारित होता है.
- सत्कर्म किसे कहते है : - bhagavad gita में कहा है की, आप किसी की हेल्प भी कर रहे हो तो भी आपको वह अपेक्षा रहित करनी है यानि की फल की अपेक्षा नहीं रखनी, क्योकि जिसकी आप हेल्प कर रहे हो वह प्राणी या जिव भी उसी शक्ति ने बनाया है जिस शक्ति ने आपको बनाया है, इसलिए तुम्हारे और उसके बिच धन - सम्पति में फ़र्क़ हो सकता है पर दोनों भी एकसमान जिव है.
उदा. आप अगर पूजा कर रहे है और आपका मन अगर पूजा में नहीं है, कही और आपके काम में या किसी व्यक्ति के बारे में सोच रहा है तो वह पूजा भी निरर्थक है, उसका आपको लाभ नहीं। इस्सलिये गीता में भगवन कहते है, की मुझे अपना मन समर्पित करदो यानि की आप जो भी काम कर रहे हो उसे करते करते भगवान ने किये अपने ऊपर प्यार को न भूलो।
3. कर्म पर विश्वास - Trust on Karma : Bhagavad geeta
खुद पर विश्वास और भगवान शक्ति पर विश्वास रहे, तो आपको चिंता
करने की कोई आवश्यकता
नहीं है, पर आजकल लोगो
को खुद पर ही भरोसा
नहीं है, भगवान पर क्या रखेंगे
यह प्रश्न है?,
कर्म, ऐसा करो जो रास्ता वेद
उपनिषद्
पुराण
में वैदिक सनातन संस्कृति के ऋषियों ने बताया है,
उसपर चलना चाहिए, जीवन कैसा जीना चाहिए उसका उत्तम दृश्य श्री वाल्मीकि रामायण है, अगर आप रामायण को
राम यह भी एक
इंसान है ऐसा समझ
क्र पढोगे तो आपको रामायण
में हर किसी जीवन
दिखेगा कितना सुन्दर है.
रामायण हो या भगवद्गीता वह पढ़ने के लिए तार्किक दृष्टी शक्ति और श्रद्धा और भाव और विश्वास यह सभी आपमें होना चाहिए, अगर आप ऐसे घर में बड़े हुए हो जहा मारपीट , अपशब्द और राक्षस जैसा वर्तन लोगो का होता है तो आपको रामायण में भी रावण पसंद आएगा यह आपके मन के शक्ति और तर्क शक्ति के ऊपर निर्भर करता है।
4. कलयुग के लोगो के कर्म - karma in kaliyug - bhagavad geeta
आज सबसे बड़ा उदा. आज T.V. सीरियल में भगवान और उनके पत्नी को दिखाया जाता है और उनमे झगड़े चल रहे होते है, या फिर उनमे दो पत्निया होती है जिनमे से एक रूठ जाती है तो दूसरी की प्रेम शब्द के नाम पर अट्रैक्शन दिखाया जाता है, ( सच तो यह है की जिस शक्ति ने सूर्य , चंद्र, ब्रह्माण्ड बनाया गिनती नहीं कर सकते इतनी नर - मादा बनाई है उसे किस बात का मोह रहेगा ?? पर हमारे यहाँ पंचेन्द्रिय सुख में फसे हुए लोग उनके जैसा जीवन भगवान का दिखते है, ) और अनजान अनपढ़ लोग उसे सच मान लेते है, संस्कृति का नाश यही से शुरू है.
5. Kaise संतो के karm आज भी हमे prerna देते है .
भारत में हुए कुछ - संत / ऋषियों के नाम लेता
हु, जिनके बारे में आप किताब से
पढ़ो तो सही रहेगा
- संत एकनाथ, संत मीराबाई, संत तुकाराम, कुमारिल भट, आद्यशंकराचार्य, संत जनार्दनस्वामी, व्यासऋषि , वाल्मीकि ऋषि - यह सिर्फ कुछ
संतो के नाम है
जिन्होंने अपना मन भगवान को
समर्पित करदिया और तेजरूप शक्ति में विलीन हो गए.
कुछ भी हम पढ़ेंगे या सुनेंगे या देखेंगे तो यह जरूर यद् रखेंगे की जो बात हमे कोई बता रहा है उसका जीवन कैसा है वह अपना जीवन कैसे जीता है तभी हम लोग उसके बातो पर विश्वास रख सकेंगे , अन्यथा आचार - विचार - भिन्न भिन्न रखने वाले दुष्टबुद्धि दुर्योधन जैसी सोच रखने वाले राक्षस आज भी दुनिया में मजूद है.
6. भगवद्गीता में कर्म पर श्लोक - Bhagavad Geeta Shlok : About Karma.
सिर्फ "कर्मण्येवाधिकारस्ते" इसी श्लोक को पढ़ते हुए हमे कर्म के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकती इसलिए भगवद्गीता अर्थसहित हो तो उसे जरूर पढ़े और बार बार पढ़ेंगे तो ही आप हर एक शब्द को बारीकीसे deep से जांनने की कोशिश करेंगे तभी आपको उसके बारे में पता चल पायेगा की उसका हमारी जिंदगी से कितना बड़ा सम्बन्ध है.
FAQ.
- कर्म का क्या अर्थ है
- क्या हर कर्म का फल मिलता है
- कर्म और भाग्य में अन्तर क्या है
- अच्छे कर्म कैसे करे
- कर्म सिद्धांत किन धर्मो में मान्य है
इन सरे सवालो के जवाब और
भगवद्गीता में कर्म के बारे में
और क्या कहा है सभी जानकारी
आपको उप्पर दी गई है
उसके आधार पर आपलोग खुद
भी quotes बना सकते हो. इतना में जरूर कह सकता हु.
karma's according to geeta और भगवद्गीता जानकारी "जो भी ऊपर दी गई है उसमे हमने लिखते वक्त कुछ गलतिया हो सकती है उसे ignor करे।
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